Sat , Oct 14 2023
- शारदीय नवरात्रि 2023 की शुरुआत 15 अक्टूबर, 2023 को होगी और समाप्ति 23 अक्टूबर, 2023 को होगी .
शारदीय नवरात्रि में कलश स्थापना यानी घट स्थापना का मुहूर्त 15 अक्टूबर को सुबह 11 बजरकर 44 मिनट से दोपहर 12 बजकर 30 मिनट पर होगा। इस मुहूर्त में घट स्थापना कर सकते हैं। घट स्थापना के लिए मिट्टी या अष्टधातु का घड़ा ईशान कोण में स्थापित किया जाता है। कलश को ब्रह्मांड के प्रतीक के तौर पर स्थापित किया जाता है, जिसके केंद्र में सभी देवी देवता होती हैं। कलश के मुख में भगवान विष्णु, कंड में रूद्र और मूल भाग में ब्रह्माजी निवास करते हैं।
कलश स्थापना और मां दुर्गा की पूजा में सोलह श्रृंगार के सामान की आवश्यकता होती है, इसलिए इसे अभी से लाकर रख लें। कलश स्थापना में मौली, कलश और पांच आम के पत्ते, रोली, सिक्का, शुद्ध मिट्टी, लाल कपड़ा, गेहूं, गंगाजल और अक्षत की आवश्यकता होती है। इसके साथ ही पीतल या मिट्टी का दीपक, जौ या गेहूं, जटा वाला नारियल, रूई, बत्ती की आवश्यकता होती है।
नवरात्रि के दौरान पूजा के लिए निम्नलिखित सामग्री की जरूरत होती है:
शारदीय नवरात्रि में माता का श्रृंगार किया जाता है। इसके लिए लाल चुनरी, चूड़ी, पायल, कान की बाली, सिंदूर, महावर, बिंदी, काजल, लाली, इत्र, मेंहदी, फूल माला, बिछिया आदि श्रृंगार का सामान अभी से लाएं। ये सारी चीजें एक पैकेट में भी आ जाती हैं, जिसको लाने में ज्यादा आसानी हो जाएगी।
मिट्टी का बर्तन, मिट्टी पर रखने के लिए साफ कपड़ा, साफ जल, कलावा, शुद्ध मिट्टी, जौ या गेहूं चीजों की आवश्यकता पड़ेगी।
अगर आप घर में अखंड ज्योति जला रहे हैं तो पीतल या मिट्टी का दीपक, घी, रूई बत्ती, अक्षत, रोली
नवरात्रि के दिन भक्त पूरे दिन 9 दिन तक हवन करते हैं। इसके लिए आपको आम की लकड़ी, हवन कुंड, काले तिल, कुमकुम, अक्षत, धूप, पंचमेवास गुग्गल, लौंग, हवन में चढ़ाने का भोग, शुद्ध जल, रोली, धूप, घी, सुपारी, कपूर, कमलगट्टा आदि का प्रयोग किया जाता है।नवरात्रि के दौरान, मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है. प्रत्येक स्वरूप के लिए, एक विशेष रंग होता है. इस साल, निम्नलिखित हैं:
* 15 अक्टूबर - केसरिया
* 16 अक्टूबर - सफेद
* 17 अक्टूबर - लाल
* 18 अक्टूबर - रॉयल ब्लू
* 19 अक्टूबर - पीला
* 20 अक्टूबर - हरा
* 21 अक्टूबर - स्लेटी
* 22 अक्टूबर - पर्पल
* 23 अक्टूबर - पीकॉक हरा .
- माँ दुर्गा के समस्त स्वरुपों की मूर्तियों के साथ-साथ, महानवमी के पहले दिन, कलश स्थापना की जाती है. कलश स्थापना का मुहूर्त प्रतिपदा (15 अक्टूबर) को होता है .
- महानवमी (23 अक्टूबर) के पहले, माँ दुर्गा के समस्त स्वरुपों की पूजा की जाती है .
नवरात्रि 2023 की तारीखें Navratri 2023 Dates | ||
---|---|---|
दिन | तिथि | नवरात्रि में देवी के नाम |
15 अक्टूबर | प्रतिपदा | घटस्थापना, माता शैलपुत्री पूजा, अग्रसेन जयंती |
16 अक्टूबर | द्वितीया | माता ब्रह्मचारिणी पूजा |
17 अक्टूबर | तृतीया | माता चंद्रघंटा पूजा, सिन्दूर तृतीया |
18 अक्टूबर | चतुर्थी | माता कुष्मांडा पूजा |
19 अक्टूबर | पंचमी | माता स्कंद माता पूजा, ललिता पञ्चमी |
20 अक्टूबर | षष्ठी | माता कात्यायनी पूजा, दुर्गा पूजा |
21 अक्टूबर | सप्तमी | माता कालरात्रि पूजा, सरस्वती पूजा, नवपत्रिका पूजा, कलाबोऊ पूजा |
22 अक्टूबर | अष्टमी | महा गौरी पूजा, दुर्गा अष्टमी, कुमारी पूजा, सन्धि पूजा |
23 अक्टूबर | नवमी | माता सिद्धिदात्री पूजा, दुर्गा बलिदान, नवमी हवन |
24 अक्टूबर | दशमी | विजयदशमी, दुर्गा विसर्जन, सिंदूर खेला, नवरात्रि व्रत समाप्त। |
Mata ji ki Aarti, दुर्गा माँ की प्रसिद्ध आरती,
जय अम्बे गौरी,
मैया जय श्यामा गौरी ।
तुमको निशदिन ध्यावत,
हरि ब्रह्मा शिवरी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
मांग सिंदूर विराजत,
टीको मृगमद को ।
उज्ज्वल से दोउ नैना,
चंद्रवदन नीको ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
कनक समान कलेवर,
रक्ताम्बर राजै ।
रक्तपुष्प गल माला,
कंठन पर साजै ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
केहरि वाहन राजत,
खड्ग खप्पर धारी ।
सुर-नर-मुनिजन सेवत,
तिनके दुखहारी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
कानन कुण्डल शोभित,
नासाग्रे मोती ।
कोटिक चंद्र दिवाकर,
सम राजत ज्योती ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
शुंभ-निशुंभ बिदारे,
महिषासुर घाती ।
धूम्र विलोचन नैना,
निशदिन मदमाती ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
चण्ड-मुण्ड संहारे,
शोणित बीज हरे ।
मधु-कैटभ दोउ मारे,
सुर भयहीन करे ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
ब्रह्माणी, रूद्राणी,
तुम कमला रानी ।
आगम निगम बखानी,
तुम शिव पटरानी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
चौंसठ योगिनी मंगल गावत,
नृत्य करत भैरों ।
बाजत ताल मृदंगा,
अरू बाजत डमरू ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
तुम ही जग की माता,
तुम ही हो भरता,
भक्तन की दुख हरता ।
सुख संपति करता ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
भुजा चार अति शोभित,
वर मुद्रा धारी । [खड्ग खप्पर धारी]
मनवांछित फल पावत,
सेवत नर नारी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
कंचन थाल विराजत,
अगर कपूर बाती ।
श्रीमालकेतु में राजत,
कोटि रतन ज्योती ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
श्री अंबेजी की आरति,
जो कोइ नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी,
सुख-संपति पावे ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
जय अम्बे गौरी,
मैया जय श्यामा गौरी ।
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