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नगरी हो आयोध्या सी, रघुकुल सा घराना हो। और चरण को राघव के, जहां मेरा ठिकाना हो। Bhajan- NAgari ho ayodhya si.

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Fri , Jan 19 2024

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नगरी हो आयोध्या सी, रघुकुल सा घराना हो।
और चरण को राघव के, जहां मेरा ठिकाना हो।



नगरी हो आयोध्या सी, रघुकुल सा घराना हो।

और चरण को राघव के, जहां मेरा ठिकाना हो।

1.हो त्याग भरत जैसा, सीता सी नारी हो

और लव कुश के जैसी संतान हमारी हो।

नगरी हो......

2.श्रृद्धा हो श्रवण जैसी, शबरी सी भक्ति हो

हनुमत के जैसी निष्ठा और शक्ति हो।

नगरी हो.....

3.सरयू का किनारा हो,निर्मल जल धारा हो

और दरस मुझे भगवन हर घड़ी तुम्हारा हो।

नगरी हो.....

4.मेरी जीवन नैया हो, प्रभु राम खिवैया हो

और राम कृपा की सदा मेरे सर छैया हो।

नगरी हो.....

5.लक्ष्मण सा भाई हो, कोशलाया सी माई हो

और स्वामी तुम्हारे जैसा मेरा रघुराई हो।


नगरी हो आयोध्या सी, रघुकुल सा घराना हो।

और चरण को राघव के, जहां मेरा ठिकाना हो।

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