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हनुमान चालीसा | Shree Hanuman Chalisa

Ajay Patel

Sat , Apr 20 2024

Ajay Patel

हनुमान चालीसा  द्वारा हनुमान जी का पाठ करते है। यह भक्तों को स्वास्थ्य, सफलता, और शांति की प्राप्ति में सहायता प्रदान करती है। चाहे आप हिंदी में पढ़ना पसंद करें या अंग्रेजी में, Hanuman Chalisa आपको हनुमान जी का पाठ करने में सहायता प्रदान करता है और यह बोल आपकी आध्यात्मिक यात्रा को और अधिक महत्वपूर्ण बनाता है।

दोहा

श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि !
बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि !! 
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार !
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार
 !!

चौपाई

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर..
जय कपीस तिहुं लोक उजागर॥

रामदूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा
 1

महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी
 2

कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुंचित केसा
 3

हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।
कांधे मूंज जनेऊ साजै॥
4

संकर सुवन केसरीनंदन।
तेज प्रताप महा जग बन्दन
 5

विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर
 6

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया
 7

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा
 8

 भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्र के काज संवारे
 9

लाय सजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये 10

रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई
 11

सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं
 12

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा
 13

जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कबि कोबिद कहि सके कहां ते
 14

तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा
 15

तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।
लंकेस्वर भए सब जग जाना
 16

जुग सहस्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू
 17

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं
 18

दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते
 19

राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे
 20

सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डर ना
 21

आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हांक तें कांपै
 22

भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै
 23

नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा
 24

संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै
 25

सब पर राम तपस्वी राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा
 26

और मनोरथ जो कोई लावै।
सोइ अमित जीवन फल पावै
 27

चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा
 28

 साधु-संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे
 29

अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता
 30

 राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा
 31

 तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम-जनम के दुख बिसरावै
 32

अन्तकाल रघुबर पुर जाई।
जहां जन्म हरि-भक्त कहाई
 33

और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई
 34

संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा
 35

जै जै जै हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं
 36

जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई
 37

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा
 38

तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय मंह डेरा
 39

दोहा :

पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप
 


हनुमान चालीसा के लाभ अनेक लाभ है

ये सभी लाभ अलग -अलग भक्तो के द्वारा बताये गए है। आपको भी अलग लाभ प्राप्त हो सकता है, आपके भक्ति और श्रद्धा पर। हनुमान चालीसा के निम्नलिखित लाभ है।

  • भक्ति में वृद्धि: रोजाना चालीसा करने से हमारे अंदर भक्ति और श्रद्धा भाव में वृद्धि होती है।
  • रोग का निवारण: पाठ से हमें सभी प्रकार के रोगो से मुक्ति मिलती है और हम स्वस्थ रहते है।
  • मानसिक शांति: इससे मानसिक चिंता से मुक्ति मिलती है।
  • रक्षा कवच: यह चालीसा रक्षा कवच की तरह काम करता है, जो सभी भक्त लोगो को से बचाने में सहायता प्रदान करता है।
  • ग्रह दोष निवारण: पाठ से ग्रहों के दोषों का निवारण हो सकता है और जीवन में समृद्धि आ सकती है।
  • सफलता की प्राप्ति: यदि आप रोजाना पाठ करते है तो आपको अपने काम में सफलता मिलती है और आपके कार्यो में बढ़ोतरी होती है।
  • आत्म-निर्भरता: इस चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति आत्म-निर्भर बनता है।

हनुमान चालीसा के पाठ करने की कुछ स्पेशल विधि

  • साफ सफ़ाई: चालीसा का पाठ शुरू करने करने से स्नान कर ले और पूजा स्थल को साफ रखें।
  • पाठ का स्थान: पाठ शुरू करने से पहले कोशिश करें कि किसी नजदीकी हनुमान मंदिर में जाए यह ज्यादा प्रभावित होता है। आप घर पर भी कर सकते हैं।
  • समर्पण: इस चालीसा का पाठ करते समय अपने आप को हनुमान जी के प्रति समर्पित कर दें।
  • मुद्राएँ और उपासना: पाठ को करते समय अपने आप को किसी एक मुद्रा में लाइन जैसे कि हंस मुद्रा या ज्ञान मुद्रा।
  • ध्यान: इस पाठ को करते समय अपने पूरे ध्यान को हनुमान जी की तरफ लगे और मन में उनको याद करें।
  • प्रार्थना और आशीर्वाद: पाठ समाप्त हो जाने पर हनुमान जी से अपनी मनोकामना मांगे और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।

ऊपर दिए गए सभी विधि हमारे द्वारा बताया गया है। आप अपने क्षेत्रीय तरीके से भी इसका पाठ कर सकते हैं। या फिर किसी मंदिर के पुजारी या किसी बुजुर्ग व्यक्ति से भी पूछ सकते हैं। क्योंकि इसका पाठ अलग-अलग जगह पर अलग-अलग तरीकों से किया जाता है।

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