Mon , Jun 19 2023
भारत के उड़ीसा राज्य का पुरी क्षेत्र जिसे पुरुषोत्तम पुरी, शंख क्षेत्र, श्रीक्षेत्र के नाम से भी जाना जाता है, भगवान श्री जगन्नाथ जी की मुख्य लीला-भूमि है। उत्कल प्रदेश के प्रधान देवता श्री जगन्नाथ जी ही माने जाते हैं। यहाँ के वैष्णव धर्म की मान्यता है कि राधा और श्रीकृष्ण की युगल मूर्ति के प्रतीक स्वयं श्री जगन्नाथ जी हैं।
इसी प्रतीक के रूप श्री जगन्नाथ से सम्पूर्ण जगत का उद्भव हुआ है। श्री जगन्नाथ जी पूर्ण परात्पर भगवान है और श्रीकृष्ण उनकी कला का एक रूप है। ऐसी मान्यता श्री चैतन्य महाप्रभु के शिष्य पंच सखाओं की है। पूर्ण परात्पर भगवान श्री जगन्नाथ जी की रथयात्रा आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को जगन्नाथपुरी में आरम्भ होती है। यह रथयात्रा पुरी का प्रधान पर्व भी है। इसमें भाग लेने के लिए, इसके दर्शन लाभ के लिए हज़ारों, लाखों की संख्या में बाल, वृद्ध, युवा, नारी देश के सुदूर प्रांतों से आते हैं।
उड़ीसा के पूरी में स्थित जगन्नाथ जी का मंदिर समस्त दुनिया में प्रसिद्ध है. यह मंदिर हिन्दुओं के चारों धाम के तीर्थ में से एक है. कहते है मरने से पहले हर हिन्दू को चारों धाम की यात्रा करनी चाहिए, इससे मोक्ष की प्राप्ति होती है| जगन्नाथ पूरी में भगवान विष्णु के अवतार भगवान श्री कृष्ण का मंदिर है, जो बहुत विशाल और कई सालों पुराना है. इस मंदिर में लाखों भक्त हर साल दर्शन के लिए जाते है. इस जगह का एक मुख्य आकर्षण जगन्नाथ पूरी की रथ यात्रा भी है. यह रथ यात्रा किसी त्यौहार से कम नहीं होती है, इसे पूरी के अलावा देश व विदेश के कई हिस्सों में भी निकाली जाती है
जगन्नाथ जी की रथ यात्रा हर साल अषाढ़ माह (जुलाई महीने) के शुक्त पक्ष के दुसरे दिन निकाली जाती है. इस साल ये 20 जून 2023, दिन मंगलवार को निकाली जाएगी. रथ यात्रा का महोत्सव 10 दिन का होता है, जो शुक्ल पक्ष की ग्यारस के दिन समाप्त होता है. इस दौरान पूरी में लाखों की संख्या में लोग पहुँचते है, और इस महा आयोजन का हिस्सा बनते है. इस दिन भगवन कृष्ण, भाई भगवान श्री बलराम व बहन सुभद्रा को रथों में बैठाकर गुंडीचा मंदिर ले जाया जाता है. तीनों रथों को भव्य रूप से सजाया जाता है, जिसकी तैयारी महीनों पहले से शुरू हो जाती है |
इस रथ यात्रा से जुड़ी बहुत सी कथाएं है, जिसके कारण इस महोत्सव का आयोजन होता है. कुछ कथाएं मैं आपसे शेयर करते है
कहते है, भगवान श्री कृष्ण के निर्वाण के पश्चात् जब उनके पार्थिव शरीर को द्वारिका लाया जाता है, तब बलराम अपने भाई की मृत्यु से अत्याधिक दुखी होते है. भगवान श्री कृष्ण के शरीर को लेकर समुद्र में कूद जाते है, उनके पीछे-पीछे सुभद्रा भी कूद जाती है. इसी समय भारत के पूर्व में स्थित पूरी के राजा इन्द्रद्विमुना को स्वप्न आता है कि भगवान् का शरीर समुद्र में तैर रहा है, अतः उन्हें यहाँ भगवान श्री कृष्ण की एक विशाल प्रतिमा बनवानी चाहिए और मंदिर का निर्माण करवाना चाहिए. उन्हें स्वप्न में देवदूत बोलते है कि भगवान श्री कृष्ण के साथ, बलराम, सुभद्रा की लकड़ी की प्रतिमा बनाई जाये. और भगवान श्री कृष्ण की अस्थियों को उनकी प्रतिमा के पीछे छेद करके रखा जाये|
राजा का सपना सच हुआ, उन्हें भगवान श्री कृष्ण की आस्तियां मिल गई. लेकिन अब वह सोच रहा था कि इस प्रतिमा का निर्माण कौन करेगा. माना जाता है, शिल्पकार भगवान् विश्वकर्मा एक बढई के रूप में प्रकट होते है, और मूर्ती का कार्य शुरू करते है| कार्य शुरू करने से पहले वे सभी से बोलते है कि उन्हें काम करते वक़्त परेशान नहीं किया जाये, नहीं तो वे बीच में ही काम छोड़ कर चले जायेगें. कुछ महीने हो जाने के बाद मूर्ती नहीं बन पाती है, तब उतावली के चलते राजा इन्द्रद्विमुना बढई के रूम का दरवाजा खोल देते है, ऐसा होते ही भगवान् विश्वकर्मा गायव हो जाते है. मूर्ती उस समय पूरी नहीं बन पाती है, लेकिन राजा ऐसे ही मूर्ती को स्थापित कर देते है, वो सबसे पहले मूर्ती के पीछे भगवान कृष्ण की अस्थियाँ रखते है, और फिर मंदिर में विराजमान कर देते है |
एक राजसी जुलूस तीन विशाल रथों में भगवान कृष्ण, बलराम और सुभद्रा का हर साल मूर्तियों के साथ निकाला जाता है। भगवान कृष्ण, बलराम और सुभद्रा की प्रतिमा हर 12 साल के बाद बदली जाती है, जो नयी प्रतिमा रहती है वह भी पूरी बनी हुई नहीं रहती है. जगन्नाथ पूरी का यह मंदिर एकलौता ऐसा मंदिर है, जहाँ तीन भाई बहन की प्रतिमा एक साथ है, और उनकी पूजा अर्चना की जाती है|
भारत में उड़ीसा के पुरी के अलावा अन्य जगहों पर भी इसी दिन भगवान श्री जगदीश यात्रा निकाली जाती है जैसे मध्य प्रदेश का शहर उज्जैन जिसे धर्मपुरी के नाम से जाना जाता है | उज्जैन में विशेष रुप से अखिल भारतीय चंद्रवंशी खाती समाज के द्वारा यह यात्रा निकाली जाती है ,उज्जैन स्थित 2 मंदिरों में जगदीश मंदिर एवं इस्कॉन मंदिर से जगदीश यात्रा निकाली जाती है | जिसमें चंद्रवंशी खाती समाज एवं अन्य भक्तगण भी इस यात्रा में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं |
आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीया पर धार्मिक नगरी उज्जैन जय जय जगन्नाथ के स्वर से गुंजायमान होने वाली है। जिसकी तैयारियां लगभग पूर्णता की ओर हैं। इस दिन नगर में प्रमुख रूप से दो स्थानों से भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकलेगी, जिसमें भगवान श्री जगन्नाथ, बलदेव और सुभद्रा महारानी को रथ में सवार कर नगर भ्रमण कराया जाएगा। इस रथ यात्रा में हजारों श्रद्धालु शामिल होंगे।
20 जून मंगलवार को नगर में भगवान जगन्नाथ की भव्य रथयात्रा निकाली जाएगी। अखिल भारतीय चंद्रवंशी क्षत्रिय खाती समाज के द्वारा यात्रा का यह 115 वर्ष है। प्रति वर्ष अनुसार इस वर्ष भी यह रथ यात्रा कार्तिक चौक स्थित जगदीश मंदिर से दोपहर तीन बजे शुरू होगी, जो कि ढाबा रोड, कमरी मार्ग, तेलीवाड़ा, नईसड़क, कंठाल चौराहा, सतीगेट, छत्रीचोक, गोपाल मंदिर, गुदरी चौराहा होते हुए पुनः जगदीश मंदिर पर पहुंचेगी। इस यात्रा में उज्जैन ही नहीं बल्कि प्रदेशभर के 1200 गांव के भक्तजन शामिल होकर जय जगन्नाथ का उद्घोष कर अपने इष्ट देवता के दर्शनों का लाभ लेंगे। यात्रा में भजन मंडलिया, अखाड़े बड़ी संख्या में शामिल रहेंगे। पूरे यात्रा मार्ग में भगवान जगन्नाथ की प्रसादी के रूप में भात का वितरण भी किया जाएगा। जगदीश मंदिर कार्तिक चौक से निकलने वाली इस रथयात्रा के साथ ही नगर में इस्कॉन मंदिर की रथ यात्रा भी निकाली जाने वाली है। जिसके लिए सोमवार रात से ही बुधवारिया में जगन्नाथ जी का मकरध्वज पहुंचेगा, जिसकी रात भर यहां सजावट होगी और मंगलवार सुबह 11:30 बजे भगवान के श्री विग्रहों को रथ पर स्थापना के बाद दोपहर 12:30 बजे महाआरती और दोपहर 1:30 विशेष अतिथियों द्वारा पूजन अर्चन के बाद यात्रा शुरू होगी। यात्रा के आगे-आगे स्वर्णिम झाड़ू से यात्रा मार्ग की सफाई की जाएगी, जिसके बाद हजारों भक्त भगवान के इस रथ को खींचेगे। यह यात्रा बुधवारिया से शुरू होकर कंठाल, नईसड़क, दौलतगंज, मालीपुरा, देवासगेट, चामुंडा माता चौराहा, टावर चौक, तीन बत्ती चौराहा होते हुए इस्कान मंदिर पहुंचेगी। जहां भगवान का विशेष पूजन अर्चन किया जाएगा।
नंदीघोष और रथ चक्र का भी होगा पूजन
इस्कॉन मंदिर और जगदीश मंदिर के साथ ही मंगलनाथ मार्ग स्थित गंगा घाट पर श्री मोनतीर्थ पीठ परिसर में श्री नंदीघोष रथ चक्र का पूजन भी सुबह 11:00 बजे महामंडलेश्वर स्वामी डॉ. सुमनानंद गिरि महाराज के द्वारा किया जाएगा। जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल रहेंगे।
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Neha patel
20 Jun 23
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