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खुद से रूबरू: कविता का सफर | Self-Reflection: A Journey Through Poetry

Ajay Patel

Fri , Dec 01 2023

Ajay Patel

ये कौन सा किरदार निभाता चला गया

अश्कों में जी गया, कि रश्क भी न कर सका

मैं गिरा भी मगर, उसको उठाता चला गया !!

क्या ही कहूं कैसे-कैसे किस्से हैं जिंदगी के

मैं खुद में से ही खुद को चुराता चला गया !!

मनुहार लगाके देखी, की शिकायतें भी सभी

आंसुओं को छिपाके, मुस्कराता चला गया !!

न जानें कैसी हवा चली, बेबसी है,,

बेरुखी है

वो रुका नहीं मगर, 'यादें' थमाता चला गया !!

जब-जब कहना चाहा, जुबां चुप रही ये क्यों

यूं मैं एक कारवां शब्दों का बनाता चला गया !!

परवाह करूं किसकी कि पास है ही क्या मेरे

तब कौनसा किरदार, मैं निभाता चला गया !!

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