Wed , Jul 31 2024
Discover Effective Strategies to Break Bad Habits and Transform Your Life Positively
बुरी आदतों से छुटकारा पाना क्यों मुश्किल है?
नमस्कार दोस्तों आज हम पढ़ेंगे की क्यों आखिर बुरी आदतें छोड़ना मुश्किल होता है हम बार-बार प्रयास करते हैं परंतु क्यों हमारी आदतें जो की बुरी है उन्हें हम छोड़ नहीं पाते हैं आज हम सीखेंगे की कैसे हम उन बुरी आदतों को छोड़े और किन छोटे-छोटे स्टेप्स से हम उन बुरी आदतों से बाहर आ सकते हैं और किस तरह से हमारे जीवन में यह एक सकारात्मक परिवर्तन लेकर आती है |
अक्सर हमने देखा है कि हमारी बुरी आदतें जैसे कि धूम्रपान करना, शराब का सेवन या मांसाहार या कुछ ऐसी आदतें जो कि हमारे स्वास्थ्य पर खराब असर डालती है जैसे जंक फूड खाना इन आदतों को हम सुधरना तो चाहते हैं पर परंतु हम अनेकों कोशिशें के बाद भी इन्हें सुधार नहीं पाते हैं | क्या ऐसे कारण है जिनकी वजह से हमारा मस्तिष्क बार-बार हमें बुरी आदतों की तरफ अग्रसर करता है, तो आईए हम देखते हैं कि किस तरीके से हम इन आदतों से छुटकारा पा सकते हैं |
दोस्तों हमारा मनुष्य मस्तिष्क हमारे पुराने अनुभवों के आधार पर अपने नए निर्णय लेता है हमारे पुराने अनुभव उस चीज को प्रभावित करते हैं जो हम आज कर रहे हैं | मनुष्य अपनी आदतों का निर्धारण किसी ऐसे समय में करता है जब वह तनाव में हो या किसी बुरी संगत में हो तो वह बुरी आदतों को सीखता है, पर पूरी आदतों की पुनरावृत्ति मनुष्य के स्वयं के निर्णय पर होती है जैसे कोई धूम्रपान करने वाला व्यक्ति अपने किसी मित्र के कहने पर धूम्रपान शुरू तो कर देता है परंतु फिर वह उस बुरी आदत का शिकार तो तब हो जाता है जब वह उसकी पुनरावृत्ति अपने जीवन में रोजाना करने लगता है |
और जब एक समय पर मनुष्य को इसका एहसास होता है कि कब यह आदत, बुरी लत बन गई है, तब वह उसे छोड़ने की कोशिश करता है परंतु वह तब तक उसके छोड़ने की क्षमता से बाहर हो जाती है|
तो हम किस तरीके से हमारी इन आदतों को छोड़ सकते हैं | किन छोटी आदतों के द्वारा हम इन बुरी आदतों को छोड़ सकते हैं हम देखेंगे कि कैसे आदतों के छोटे-छोटे सुधार बड़े-बड़े परिवर्तन हमारे जीवन में लाते हैं-
इसके लिए हम एक छोटा सा उदाहरण लेते हैं हम अगर किसी कम तापमान वाले जगह पर वहां पर एक रखे हुए बर्फ के टुकड़े को देखें तो वह बर्फ का टुकड़ा तब तक नहीं पिघलता जब तक उसको पिघलने के लिए अनुकूलित तापमान ना मिले, जैसे उदाहरण के लिए हम अगर बात करें तो किसी जगह का तापमान अगर जीरो डिग्री से कम है -20 बर्फ नहीं निकलेगी - 10 बर्फ नहीं निकलेगी -5 बर्फ नहीं निकलेगी 0 पर तापमान आएगा बर्फ नहीं पिघलेगी परंतु जैसे ही जीरो से एक डिग्री सेल्सियस पर तापमान आएगा बर्फ पिघलनी शुरू हो जाएगी | जैसे ही बर्फी पिघलती है हमें दिखता है कि यह परिवर्तन सिर्फ एक डिग्री का है परंतु यह परिवर्तन सिर्फ एक डिग्री के अंतर से नहीं हुआ हमने तापमान को धीरे-धीरे बढ़ाया था | तो यह परिवर्तन दोस्तों में दिखाता है कि छोटे-छोटे परिवर्तन हमें तुरंत प्रभावित नहीं करते परंतु लंबे समय के लिए वह परिवर्तन हमें अत्यधिक प्रभावित करते हैं|
अगर हम दूसरा उदाहरण देखें तोअगर एक पत्थर तोड़ने वाला पत्थर पर लगातार प्रहार करता रहता है तो वह प्रहार हमें कहीं पर भी दिखाई नहीं देते पर जैसे ही उन प्रहारों की संख्या बढ़ती जाती है उदाहरण के लिए अगर कोई व्यक्ति पत्थर तोड़ने के लिए 100 प्रहार करता है परंतु उसमें दरार दिखाई नहीं देती है परंतु जैसे ही वह 101 वा प्रहार करेगा पत्थर अचानक टूट जाएगा | तो यह उदाहरण दिखता है कि ऐसा ही प्रभाव हमारे जीवन पर होता है हमारी छोटी-छोटी आदतों का | इस तरीके से हमने देखा कि जैसे ही हम 101 को प्रहार करते हैं तो वह पत्थर दो टुकड़ों में बढ़ जाता है परंतु लोगों को दिखता है कि यह सिर्फ एक प्रहार से टूट गया है पर वह एक प्रहार से नहीं टूटा वह 101 प्रहार से टूटा है|
इसी तरीके से हमारी बुरी आदतें भी हमारे स्वास्थ्य को बुरी तरह से प्रभावित करती है और हम अंत में उन बुरी आदतों को दोष देते हैं परंतु हम उन छोटी आदतों पर ध्यान नहीं देते जो छोटी आदतें इसकी पुनरावृत्ति के लिए की जाती है |
चलिए दोस्तों अब बात करते हैं कि कैसे इन बड़ी आदतों को कैसे छोटी-छोटी आदतों में सुधार करके बदला जा सकता है- इन आदतों को बदलने के लिए दोस्तों हम छोटी-छोटी आदतों को सुधारने का प्रयास करेंगे जिसमें सबसे पहला विकल्प होता है हमारी पहचान को बदलना | हमारी पहचान को बदलने का आशय है कि हम खुद के लिए क्या सोचते हैं जैसे दोस्तों हम सोचते हैं कि मैं धूम्रपान करने वाला व्यक्ति हूं तो मैं कभी भी अपनी धूम्रपान की आदत नहीं छोड़ सकता परंतु अगर हम सोचते हैं कि मैं धूम्रपान नहीं करता मैं ऐसा व्यक्ति नहीं हूं जो कि धूम्रपान करता है तो हम उसे आदत को तुरंत छोड़ने के लिए अग्रसर हो सकते हैं | जैसे ही हम यह अपने अंतर्मन में यह सोचेंगे कि हां मैं अब स्मोकिंग नहीं करता हूं तो हमारी एक पर्सनैलिटी डिवेलप होगी जिसमें हम यह खुद को बताएंगे कि हम स्मोकर नहीं है इस तरीके से हम स्मोकिंग की आदत को छोड़ सकते हैं |
प्यारे दोस्तों सुधार की शुरुआत बहुत छोटी सी आदतों से भी हो सकती है हमें लगता है कि यह आदत इतनी छोटी है इससे हमारे जीवन में क्या प्रभाव पड़ेगा पर अगर हम उसको लंबे समय तक आकलन करें तो वह हमारे जीवन में महत्वपूर्ण योगदान देने वाली होती है उदाहरण के लिए सुबह जब हम हमारे बिस्तर से जागते हैं तो बहुत कम लोग ही बिस्तर को स्वच्छ और चादर को साफ करने के लिए प्रयास करते हैं परंतु हम देखते हैं कि जैसे ही हम अपनी इस छोटी सी आदत को सुधारते हैं जिसे हम सुबह जागने के तुरंत बाद हमारे बिस्तर को सही करें तो पूरे दिन के काम के बाद शाम को लौटने के बाद हमारा बिस्तर सही मिलेगा यह आदत देखने में बहुत ही छोटी लगती है परंतु यह आदत हमें उसे व्यक्ति की तरफ लेकर जाती है जो कि अपने जीवन को व्यवस्थित करने के की ओर ध्यान केंद्रित रखता हो |
जैसे कि हम इस छोटी आदत से हमारे जीवन में यह परिवर्तन देखे हैं कि हम उसे व्यक्ति की पर्सनैलिटी डिवेलप करते हैं जो अपने जीवन के लिए एक अच्छी सोच साफ स्वच्छ व्यक्ति की सोच और आगे बढ़ने के लिए अपनी छोटी आदतों को सुधारने की सोच रखता हो जैसे-जैसे हम धीरे-धीरे अपनी छोटी-छोटी आदतों पर ध्यान केंद्रित करते हैं हम उन आदतों को बदलने की प्रक्रिया पर भी ध्यान देने लगते हैं |
दोस्तों बहुत से लोग होते हैं जो कि सिर्फ आदतों को बदलने के लिए रिजल्ट पर ध्यान केंद्रित करते हैं परंतु हमें सिर्फ रिजल्ट पर ध्यान केंद्रित नहीं करना है हमें ध्यान केंद्रित करना है प्रक्रिया पर|
जैसे हम बुरी आदतों को छोड़ने का प्रयास करते हैं तो हमारा लक्ष्य होता है बुरी आदत को छोड़ना परंतु हम यह नहीं सोचते कि कौन सी आदतें हैं जो हमें बुरी आदतों को करने के लिए के लिए मोटिवेट करती है? हम उन छोटी आदतों पर ध्यान केंद्रित करें जो हमें बड़ी बुराइयों की ओर ले जाती है, परिणाम पर ध्यान केंद्रित करने की बजाय हम प्रक्रिया पर ध्यान केंद्रित करेंगे |
जैसे कि हम उदाहरण के तौर पर सिगरेट का ही उदाहरण लेते हैं एक सिगरेट पीने वाला व्यक्ति सिगरेट तब ही पीता है जब वह सिगरेट को खरीदता है तो क्यों ना दोस्तों हम उसे आदत पर ही लगाम लगा दी जाए जो हमें सिगरेट पीने के लिए हमें दुकान तक पहुंचाती है, हम धीरे-धीरे यह प्रक्रिया दोहराएंगे कि हम सिगरेट खरीदेंगे ही नहीं तो जब हम सिगरेट नहीं खरीदते हैं तब हमारे पास विकल्प नहीं बचता है कि हम सिगरेट पिए, हां जब कोई हमें सिगरेट ऑफर करें तो हम उसे सिगरेट ऑफर करने वाले व्यक्ति को यह कहेंगे कि हम सिगरेट छोड़ चुके हैं हम यह नहीं कहेंगे कि हम सिगरेट छोड़ने की कोशिश कर रहे हैं हम कहेंगे कि हम सिगरेट छोड़ चुके हैं|
दोस्तों इन दो बातों में बहुत गहरा अंतर है जब हम कहते हैं कि हम सिगरेट छोड़ चुके हैं तब हम उसे व्यक्ति के बारे में बात कर रहे होते हैं जो कि अपनी एक धारणा बन चुका है कि अब वह स्मोकिंग नहीं करता है परंतु अगर हम यह बात करते हैं कि हम सिगरेट छोड़ने की कोशिश कर रहे हैं तो हम अंदर से मन में यही मानते रहते हैं कि हम अभी भी सिगरेट पी रहे हैं | इन दोनों बातों में बहुत अंतर होता है दोस्तों ध्यान देने पर यह बातें समझ में आएंगी| तो हम उन छोटी आदतों को उन प्रक्रियाओं को बदलकर जो कि हमें इस बुरी आदत की ओर ले जाती है हम धीरे-धीरे स्टेप बाय स्टेप उसे लक्ष्य की ओर बढ़ जाते हैं जो कि हमें हासिल करना होता है|
प्यारे दोस्तों आशा करता हूं कि आपको यह लेख पसंद आया होगा इस कड़ी में आगे लिखने के लिए उत्साहित करने के लिए आप कमेंट बॉक्स में अपना कॉमेंट छोड़ सकते हैं और इस पोस्ट को लाइक भी कर सकते हैं | LIFEDB पर रजिस्टर करें और आपके लाइक और कमेंट हम यहां पर स्वीकार करेंगे कृपया आपकी राय हमें बताएं और इस सुधार की प्रक्रिया में अपना योगदान देने के लिए आपको अगर कुछ और आशा है कि मैं इस विषय पर और लिखूं तो आप अपना योगदान कमेंट बॉक्स में अपना कॉमेंट छोड़ सकते हैं दे सकते हैं |
धन्यवाद
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Ajay Patel
01 Aug 24
Very Nice Thought