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भारत में कई प्रकार की झीलें हैं, जिनमें ताजे पानी की झीलें, तटीय झीलें, खारे पानी की झीलें, और मानव निर्मित जलाशय शामिल हैं। ये झीलें न केवल प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर हैं, बल्कि वे पारिस्थितिकी, पर्यटन, और स्थानीय समुदायों के जीवनयापन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
डल झील को "कश्मीर की शान" कहा जाता है। यह झील अपनी ख़ूबसूरत शिकारे (नावें), हाउसबोट्स, और चारों ओर बर्फीले पहाड़ों की शानदार दृश्यों के लिए मशहूर है। इसके किनारे स्थित मुगल गार्डन और हजरतबल दरगाह इसे और भी खास बनाते हैं।
हफलोंग झील असम की एक प्रमुख झील है, जो अपने शांत वातावरण और हरे-भरे पहाड़ों से घिरी हुई है। यह झील यहां के स्थानीय जनजातियों के लिए जल संसाधन का महत्वपूर्ण स्रोत भी है।
कंवर झील भारत की सबसे बड़ी मीठे पानी की झीलों में से एक है। यह झील प्रवासी पक्षियों के लिए एक महत्वपूर्ण आश्रय स्थल है और कई दुर्लभ प्रजातियों को आकर्षित करती है, जिससे यह पक्षी प्रेमियों के लिए एक आदर्श स्थान बन जाती है।
चिल्का झील भारत की सबसे बड़ी तटीय झील है और विश्व की सबसे बड़ी खारे पानी की लैगून में से एक है। यह झील प्रवासी पक्षियों, मछलियों, और डॉल्फिन्स के लिए जानी जाती है। इसके द्वीप, जैसे कि कालिजाई द्वीप, इसे एक प्रमुख पर्यटन स्थल बनाते हैं।
यह एशिया की सबसे बड़ी ताजे पानी की झीलों में से एक है। वुलर झील सिंधु नदी से जुड़ी हुई है और कश्मीर की जलवायु को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
भारत की सबसे ऊंची झीलों में से एक, गुरुडोंगमार झील सिक्किम में स्थित है और इसका धार्मिक महत्व भी है। यह झील कई लोगों के लिए आध्यात्मिक स्थल के रूप में जानी जाती है।
वेम्बनाड झील भारत की सबसे लंबी झील है और केरल के बैकवाटर्स का मुख्य आकर्षण है। यह झील अपने हाउसबोट क्रूज़ और नेहरू ट्रॉफी बोट रेस के लिए मशहूर है।
यह भारत की सबसे बड़ी मानव निर्मित झील है, जो रिहंद बांध के कारण बनी है। यह जलाशय उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के कई क्षेत्रों में सिंचाई और बिजली उत्पादन के लिए उपयोग किया जाता है।
यह भारत की सबसे अधिक खारे पानी की झील है। सांभर झील नमक उत्पादन के लिए जानी जाती है और यहां हजारों प्रवासी पक्षी देखने को मिलते हैं, जिनमें फ्लेमिंगो प्रमुख हैं।
यह भारत की दूसरी सबसे बड़ी खारे पानी की लैगून है। पुलिकट झील मुख्य रूप से प्रवासी पक्षियों के लिए प्रसिद्ध है और यहां पक्षियों का विख्यात पक्षी अभयारण्य भी स्थित है।
भारत की झीलें न केवल पर्यावरण संरक्षण में योगदान देती हैं, बल्कि वे पर्यटन, जैव विविधता, और स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण हैं।
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