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नवरात्रि के चौथे दिन माँ कुष्मांडा (Kushmanda) की पूजा कैसे की जाती है?उनका स्वरूप, स्तुति,भोग विशेष सुझाव

Mani

Wed , Sep 24 2025

Mani

25 सितंबर 2025 गुरुवार 

नवरात्रि के चौथे दिन माँ कुष्मांडा (Kushmanda) की पूजा की जाती है:-

माता कुष्मांडा का स्वरूप:

माँ कुष्मांडा को ब्रह्मांड की सृष्टि करने वाली देवी माना जाता है।

इनके नाम में ही अर्थ छिपा है:

"कु" = थोड़ा 

"उष्मा" = ऊर्जा/ताप,

"अंड" = ब्रह्मांड।

यानी जिनकी हल्की मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना हुई — वही हैं माँ कुष्मांडा।

इनका रूप: इनके आठ भुजाएँ होती हैं, इसलिए इन्हें अष्टभुजा देवी भी कहा जाता है।इनके हाथों में कमंडल, धनुष, बाण, कमल, अमृत-कलश, चक्र, गदा और जप माला होती है।इनका वाहन सिंह है।

पूजा का महत्व:माँ कुष्मांडा की पूजा से स्वास्थ्य, समृद्धि और लंबी आयु प्राप्त होती है।यह देवी साधकों को आध्यात्मिक शक्ति और ऊर्जा प्रदान करती हैं!

माता को रोली, अक्षत, फूल, चंदन, धूप-दीप, नैवेद्य, मिठाई, नारियल आदि अर्पित करें।

🥥 5. भोग:

माँ को मालपुए, हलवा या नारियल आदि का भोग लगाएं (माता को ग्रीष्मकाल में ठंडा भोग प्रिय है)।

🙏 6. आरती करें:

🕉️ बीज मंत्र:

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कूष्माण्डायै नमः॥


🌸 ध्यान मंत्र:

सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च।

दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥

📿 स्तोत्र (स्तुति):

या देवी सर्वभूतेषु मातरूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

🌟 विशेष सुझाव:

इस दिन नारंगी या पीला वस्त्र पहनें, यह माता कुष्मांडा को प्रिय है।

माता से "प्रभा", "आरोग्य", "उत्साह" और "संपन्नता" की प्रार्थना करें।



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