Thu , Sep 25 2025
नवरात्रि के पांचवें दिन माँ दुर्गा के स्कंदमाता (Skandamata) स्वरूप की पूजा की जाती है
स्कंदमाता कौन हैं
माँ स्कंदमाता को भगवान कार्तिकेय (स्कंद) की माता कहा जाता है। यही कारण है कि इनका नाम स्कंदमाता पड़ा। भगवान कार्तिकेय को युद्ध और शक्ति का देवता माना जाता है।
माँ की चार भुजाएँ होती हैं।
1.एक हाथ में भगवान स्कंद (कार्तिकेय) को गोद में लिए रहती हैं।
2.एक हाथ में कमल पुष्प और दूसरा वरमुद्रा में होता है।
3.एक हाथ से वे भक्तों को आशीर्वाद देती हैं।
इन्हें कमल पर विराजमान दिखाया जाता है, इसलिए इन्हें पद्मासना देवी भी कहते हैं।
इनकी पूजा से मां और संतान दोनों का कल्याण होता है।
यह भक्तों को बुद्धि, मोक्ष, शक्ति और शांति प्रदान करती हैं।
स्कंदमाता की कृपा से साधक को अद्भुत तेज और ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति होती है।
हाथ में फूल या अक्षत लेकर पूजा का संकल्प लें "आज नवरात्रि के पांचवें दिन मैं श्रद्धा पूर्वक माँ स्कंदमाता की पूजा कर रहा/रही हूँ।"
माँ को पीले या सफेद फूल, अक्षत, रोली, चंदन, दुर्वा, फल, मिठाई आदि अर्पित करें।
माँ को केले या पीली मिठाई (जैसे बेसन के लड्डू) प्रिय होती है।
दीपक और धूप जलाकर माँ की आरती करें।
नवरात्रि के पाँचवे दिन का रंग होता है – पीला। आप चाहें तो पीले वस्त्र पहनकर पूजा करें।
Leave a Reply