Fri , Sep 26 2025
आज शारदीय नवरात्रि का छठा दिन है मां का आज कात्यायनी स्वरूप होगा कात्यायनी को शक्ति का उग्र रूप माना जाता है। आज दिन छठा पर तिथि पंचमी ही होगी माता कात्यायनी को हरा रंग प्रिय है।
वर्ष यानि वर्ष 2025 की शारदीय नवरात्र 9 की बजाय 10 दिनों की है. महाअष्टमी का व्रत 30 सितंबर को रखा जाएगा। 1 अक्टूबर को महानवमी होगी और व्रत का पारण किया जाएगा। 2 अक्टूबर के दिन विजयादशमी होगी और मां दुर्गा की मूर्ति के विसर्जन के साथ इस पर्व का समापन होगा।
माँ कात्यायनी का परिचय:माँ कात्यायनी को शक्ति का उग्र रूप माना जाता है।इनका जन्म महर्षि कात्यायन की तपस्या के फलस्वरूप हुआ था, इसलिए इन्हें "कात्यायनी" कहा जाता है।ये रक्तबीज, महिषासुर जैसे दानवों का वध करने वाली देवी हैं।इनका वाहन सिंह होता है, और ये चार भुजाओं वाली होती हैं।
पूजन विधि:इस दिन भक्त पीले वस्त्र धारण करके पूजन करते हैं।माता को शहद या शक्कर का भोग अर्पित किया जाता है।
देवी के बीज मंत्र और दुर्गा सप्तशती का पाठ करना शुभ माना जाता है।
मां कात्यायनी की पूजा से दुश्मनों पर विजय, कष्टों से मुक्ति, और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।कन्याओं के विवाह संबंधी बाधाएं दूर करने के लिए इनकी पूजा विशेष रूप से लाभकारी मानी जाती है!
माँ कात्यायनी की आरती 🌼
जय कात्यायनी माता, जय जय अम्बे दुर्गे।
तेरे गुण गावत, शिव ब्रह्मा ऋषि मुनी सुर जग के।।
जय कात्यायनी माता…॥
कंचन थार विराजत, धूप दीप मेवा।
रत्न जड़ित मुकुट सिर, चंद्र बिराजे सेवा।।
जय कात्यायनी माता…॥
केसर कस्तूरी तिलक, मोती माला धारी।
शुभ्र वस्त्र परिधान, करे शोभा न्यारी।।
जय कात्यायनी माता…॥
स्वर्ण सिंह सवारी, करत सदा सवारी।
सिंह चढ़ी जब आवे, दुष्ट दूर भगावे।।
जो भी तुझको ध्यावे, फल पावे भवानी।
रोग दोष मिट जावे, सुख संपत्ति वाणी।।
जय कात्यायनी माता…॥
आरती मात की जो कोई नर गावे,
कहत शिवानंद स्वामी, सुख संपत्ति पावे।।
"चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी॥"
अर्थ:
माँ कात्यायनी सिंह पर सवार होकर, चंद्रहास (तीखी तलवार) धारण किए हुए हैं। वे दानवों का नाश करती हैं और भक्तों को शुभ फल प्रदान करती हैं।
अगर आप चाहें तो मैं पूजा विधि, भोग सामग्री, या दिनचर्या भी बता सकता हूँ।
आपका नवरात्रि पूजन मंगलमय हो। 🌺✨
अब मैं आपको माँ कात्यायनी (छठे दिन) की पूजा विधि, भोग सामग्री और दिनचर्या क्रमवार बता रही हूँ:
प्रातः काल स्नान करें, साफ वस्त्र पहनें (हरा या लाल शुभ है)।
संकल्प लें – “मैं श्रद्धा से माँ कात्यायनी की पूजा करता/करती हूँ…”
वन्दे वाञ्छित लाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
सिंहारूढ़ा चतुर्भुजा कात्यायनी यशस्विनीम्॥
ध्यान के साथ माँ को फूल अर्पित करें।
अक्षत (चावल)
पुष्प (गेंदा या गुलाब)
दूर्वा
कुमकुम, हल्दी, चंदन
अगरबत्ती, दीपक
नैवेद्य (भोग)
इस दिन माँ को शहद (Honey) अति प्रिय है।
भोग में आप ये चढ़ा सकते हैं:
शहद (मुख्य)
गुड़ या मिश्री
फल (केला, अनार, सेब)
सूखे मेवे
नारियल
गाय का दूध या दूध से बनी मिठाई
समय कार्य
सुबह 5-7 बजे स्नान, संकल्प, पूजा की तैयारी
सुबह 7-8 बजे माँ कात्यायनी की पूजा, मंत्र, आरती
दिन में दुर्गा सप्तशती / देवी कवच / अर्गला स्तोत्र पाठ
रात को शुद्ध आहार (फलाहार या सात्विक भोजन), ध्यान
🔯 विशेष सुझाव
छठे दिन का रंग अक्सर नारंगी या पीला या हरा माना जाता है – यही वस्त्र धारण करें।
कन्याओं को भोजन कराना विशेष पुण्यदायी होता है।
जय माँ कात्यायनी!
आपका नवरात्रि व्रत सफल और फलदायक हो। ✨
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