Mon , Nov 27 2023
रूख बदलना ना जानू , पानी तो नही मै
किरदार बदलना ना जानू , कहानी तो नही मै
नही जानती तोर तरीके अमीरो के , कही की रानी तो नही मै
गांव की सीधी सी लड़की हुं , इतनी सयानी तो नही मै ।।
पानी से ज्यादा , आंसुओ के समंदर देखे है
कुछ हिम्मत बंधाने वाले मंजर देखे है ,
देख रहे थे डाली पर पंछी को चहचाते ,
नजर आए , तिनका-
तिनका जोड़ अपने मकान सजाते
कुछ इस कदर समझा हमने भी इन्हे ,
बगैर घर-बार के रहने का सलीका आ गया ,
कुछ ना होते हुए भी खुश रह जाने का वो तरीका आ गया ।।
मौसम हुआ बारिश का , बादलो की सिफारिश का ,
गुजारिश समझे या वन मे लगे वृक्षो की आस ,
बारिश की बूंदो के गिरते ही वृक्षो ने ली राहत की सांस ।।
बारिश हुई तो जोरदार थी ,
गीली मिट्टी की वो खुशबू भी बेशुमार थी ,
अचानक बात कुछ एसी हुई , एक डाली तो टूटी मगर ,
वो वृक्ष वैसा ही नजर आ रहा था ,
कुछ अनचाहे वाक्यो से जिन्दगी नही थमती ,
बहता झरना हमे ये पैगाम थमा रहा था ।।
जानते हो , तुम कितनो की आस लेकर बैठे हो ,
दुआए नाजाने कितनो की साथ लेकर बैठे हो ,
माना सिक्का पैसे वालो का चल रहा है आज-कल ,
मगर पैसा तो नही हर चीज का हल ,
जहा दोलत हार गई , मैने वहा दुआए देखी है होते हुए सफल ।।
सीरत को मायने देकर देखो ,
भरी महफिल मे , किरदार से महके हुए लगोगे ,
सूरत को मायने दोगे तो सृफ बहके हुए लगोगे ।।
सीखा मैने सूरज से भी ,
धूप देकर सबको , खुद की चमक कम नही होने दी ,
जो खुद चमक
सकता है वो दूसरो को भी चमकाना जानता है ,
सूरज ने ये बात झूठी साबित नही होने दी ।।
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