Sat , Aug 30 2025
पीटर नवारो वाइट हाउस में डोनाल्ड ट्रंप के कारोबारी सलाहकार हैं, जबकि स्कॉट बेसेंट अमेरिका के वित्त मंत्री हैं।
(1) पिछले करीब एक महीने से ये दोनों अमेरिकी चैनलों पर बैठकर भारत के खिलाफ विष उगल रहे हैं।
(2)भारत और अमेरिका के रिश्ते आज काफी नाजुक स्थिति में है।
(3)भारत को तात्कालिक नुकसान काफी हो सकता है, लेकिन दीर्घकालिक नुकसान से अमेरिका भी नहीं बचेगा।
(4) इस झगड़े से जाहिर तौर पर चीन को फायदा होगा और चीन, सिर्फ भारत के लिए खतरा साबित नहीं होगा, अमेरिका भी जद में आएगा।
(5) पीटर नवारो ने यूक्रेन युद्ध को 'मोदी का युद्ध' बताया, जबकि अभी तक अमेरिकी नेता यूक्रेन युद्ध को 'पुतिन का युद्ध' कहकर संबोधित कर रहे थे।
(6)पीटर नवारो ने भारत को सीधे-सीधे रूस-यूक्रेन युद्ध में शामिल करार दिया।
पीटर नवारो ने कहा कि "भारत जब रूस से तेल खरीदता है और फिर उसे रिफाइन कर दुनिया को बेचता है, तो इससे यूक्रेन युद्ध मशीनरी को फंड मिलते हैं। इससे अमेरिकी टैक्सपेयर्स को नुकसान झेलना पड़ता है। यह सिर्फ पुतिन की जंग नहीं है, यह मोदी की जंग भी है।"
वहीं, पीटर नवारो के तीखे हमलों के उलट अमेरिका के वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट अलग तरह की कूटनीति कर रहे हैं। हालांकि शब्द जहरीले नहीं हैं, लेकिन उनके शब्दों को आप 'डिप्लोमेटिक छूरा' कह सकते हैं।
बेसेंट ने कहा, "यह एक जटिल रिश्ता है, लेकिन राष्ट्रपति ट्रंप और प्रधानमंत्री मोदी के व्यक्तिगत संबंध अच्छे हैं। आखिरकार दोनों पक्ष बैठकर मुद्दों का हल निकालेंगे। बातचीत की लाइनों को हमने खुला रखा है।"
बेसेंट ने कहा था कि 'भारत बहुत घमंडी है।' इसके अलावा उन्होंने भारत से बातचीत को 'निराशाजनक' भी बताया था।
दिलचस्प बात ये है कि जिस यूक्रेन के नाम पर ट्रंप भारत पर दबाव बना रहे हैं, उसने खुद भारत पर रूसी तेल खरीद को लेकर दबाव डालने से इनकार किया है।
भारत में यूक्रेन के राजदूत ने खुद इस बात का खुलासा किया और भारत की संप्रभुता को स्वीकार किया।
यूक्रेनी राजदूत ओलेक्सांद्र पोलिशचुक ने बताया कि यूक्रेन समझता है कि भारत एक संप्रभु देश है और रूसी तेल खरीद के मामले में उसे अपने 'राष्ट्रीय हितों की रक्षा करनी होगी।'
उन्होंने आगे कहा कि कीव, मॉस्को से कच्चे तेल की खरीद को लेकर नई दिल्ली पर 'दबाव' नहीं डाल रहा है। इससे पैदा होने वाले किसी भी मुद्दे पर द्विपक्षीय चर्चा की जा सकती है और उसका समाधान किया जा सकता है।
पोलिशचुक ने रूसी तेल खरीद के बारे में कहा कि यह ऐसा मामला नहीं है जो भारत के साथ कीव के दीर्घकालिक और वर्तमान संबंधों को प्रभावित करेगा।
उन्होंने कहा कि 'मुझे व्यक्तिगत रूप से खुशी है कि हमारे नेताओं के बीच ऐसा नियमित संवाद होता है।' ध्यान देने की बात है कि यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की जल्द ही भारत का दौरा कर सकते हैं।
वॉल स्ट्रीट जर्नल ने कहा है कि अमेरिका की सबसे बड़ी ऊर्जा कंपनियों में से एक, एक्सॉन मोबिल ने रूस की सरकारी तेल कंपनी रोसनेफ्ट के साथ सीक्रेट बातचीत की है, जिसमें दोबारा कारोबार शुरू करने की योजना बनाई गई है। सबसे खास बात ये है कि ये गुप्त बातचीत खुद डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता में की गई है।
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जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चीन के साथ अपना व्यापार युद्ध बढ़ा रहे थे ठीक उसी समय चीन ने भारत के साथ शांतिपूर्वक संबंध सुधारने की कोशिशें शुरू कर दी थीं। इसकी पहल चीन के द्वारा ही शूरू की गई।
■ चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भारत एक चिट्ठी भेजी, इसके बाद भारत ने भी अपने प्रयासों को तेज कर दिया।
■ राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भारत के राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक पत्र लिखकर संबंधों को बेहतर बनाने की इच्छा जताई।
■ इस पत्र में चीन ने किसी भी ऐसे किसी भी अमेरिकी समझौते पर चिंता व्यक्त की थी जो चीन के हितों को नुकसान पहुंचा सकता है।
■ शी का यह संदेश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक पहुंचाया गया था।
■ मोदी सरकार ने जून में चीन के साथ संबंधों को सुधारने के लिए गंभीर प्रयास करना शुरू किया।
■ उस समय अमेरिका के साथ व्यापार वार्ताएं तनावपूर्ण हो रही थीं और मई में भारत-पाकिस्तान के बीच चार दिनों की लड़ाई के बाद ट्रंप के युद्धविराम कराने के दावों से भारत नाराज था।
■ अगस्त तक भारत और चीन के बीच संबंध सुधारने की प्रक्रिया तेज हो गई।
■ ट्रंप के टैरिफ से प्रभावित होकर दोनों देशों ने पिछले सप्ताह 2020 के घातक सीमा संघर्ष को पीछे छोड़ने के लिए एक बड़ा कदम उठाया।
■ दोनों देश अपने औपनिवेशिक काल से चले आ रहे सीमा विवादों को हल करने के प्रयासों को दोगुना करने पर सहमत हुए।
■ इन तमाम कोशिशों के बाद इस सप्ताह के अंत में पीएम मोदी सात साल में पहली बार चीन की यात्रा करेंगे।
■ भारत-चीन के बीच सुलह के अमेरिका के लिए गहरे निहितार्थ हैं। अमेरिका ने पिछले कुछ दशकों में लगातार शक्तिशाली हो रहे चीन को संतुलित करने के इरादे से भारत को अपने पाले में लाने की कोशिश की थी।
■ ट्रंप ने रूसी तेल खरीदने के कारण भारतीय निर्यात पर 50% टैरिफ लगाकर इस समीकरण को बदल दिया।
■ ट्रंप का फैसला एक ऐसा बदलाव था जिसने मोदी सरकार को चौंका दिया।
■ भारत में पूर्व अमेरिकी राजनयिक एशले टेलिस ने व्यंगात्मक लहजे में कहा, "ट्रंप वास्तव में एक महान शांतिदूत हैं। भारत और चीन के बीच इस उभरती हुई सुलह को बढ़ावा देने का सारा श्रेय उन्हें ही जाता है।"
■ उन्होंने आगे कहा, "उन्होंने अकेले ही भारत को एक दुश्मन की तरह व्यवहार करके यह सब हासिल किया है।"
■ यह बैकचैनल संवाद एक व्यापक बातचीत में बदल गया। जून तक नई दिल्ली ने बीजिंग के साथ फिर से बातचीत शुरू कर दी थी। बीते सप्ताह दोनों पक्ष अपने सीमा विवादों को सुलझाने के प्रयासों को फिर से शुरू करने पर सहमत हुए, जो 2020 में गलवान घाटी में हुए झड़प के बाद प्रत्यक्ष प्रगति थी।
■ ब्लूमवर्ग ने अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों के हवाले से लिखा है- ट्रंप ने 2 बड़ी गलतियां की. एक तो उसने भारत और पाकिस्तान सीजफायर को लेकर कथित दावे किए, जिसमें पाकिस्तान जंग रुकवाने की बात कही. भारत इस दावे से भड़क गया.
■ ट्रंप ने इसके तुरंत बाद भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने की बात कह दी. इससे भारत और अमेरिका के बीच पहले जैसे रिश्ते नहीं रह गए.
रिपोर्ट में कहा गया है कि दक्षिण एशिया के सबसे पुराने दोस्त को ट्रंप की 2 गलतियों की वजह से अमेरिका ने खो दिया. इस गलती का नतीजा यह हुआ कि भारत और चीन के बीच कूटनीतिक तौर पर वार्ता शुरू हुई. अब दोनों देश व्यापार शुरू करने की दिशा में अग्रसर है.
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