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जेल में कैदियों और उनसे मिलने आने वालों का आधार सत्यापन करें, गृह मंत्रालय का राज्यों को निर्देश

Mani

Sun , Jul 13 2025

Mani

जेल में कैदियों और उनसे मिलने आने वालों का आधार सत्यापन करें, गृह मंत्रालय का राज्यों को निर्देश

नई दिल्ली: भारत की कई जेलों ने अभी तक कैदियों और आगंतुकों के लिए आधार सत्यापन को लागू नहीं किया है. गृह मंत्रालय (MHA) ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के डीजीपी और मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर इस प्रक्रिया को लागू करने को कहा है. गृह मंत्रालय ने पत्र में कहा है कि कैदियों और उनसे मिलने आने वालों के आधार सत्यापन से संबंधित जानकारी डीजी और आईजी जेल द्वारा सभी संबंधित जेल अधिकारियों को इस प्रावधान से अवगत कराने के लिए प्रसारित की जा सकती है.

गृह मंत्रालय ने 6 मार्च, 2023 और 29 सितंबर, 2023 को दो राजपत्र अधिसूचनाएं जारी की थीं, जिनमें कहा गया था कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के जेल विभागों को कैदियों और उनके आगंतुकों का आधार सत्यापन करने की अनुमति है. इसके बाद, गृह मंत्रालय ने अक्टूबर 2023 में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एक परामर्श जारी किया था, जिसमें उनसे जेल में कैदियों और आगंतुकों के आधार सत्यापन की सुविधा का उपयोग करने का अनुरोध किया गया था.

जेल अधिकारियों से ई-प्रिजन पोर्टल पर कैदियों की आईडी को उनके आधार नंबर से जोड़ने का भी अनुरोध किया गया एनआईसी/ई-प्रिजन टीम द्वारा कैदियों के आधार को ई-प्रिजन प्लेटफॉर्म से जोड़ने या आधार सत्यापन के लिए तैयार की गई एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) भी अक्टूबर 2023 में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ साझा की गई थी.

पत्र में कहा गया है, "यह देखा गया है कि कई जेलों में गृह मंत्रालय द्वारा जारी सलाह के बारे में जमीनी स्तर पर कोई जागरूकता नहीं है. इसलिए, अनुरोध है कि जेल महानिदेशक या महानिरीक्षक कारागार द्वारा कैदियों और उनसे मिलने आने वालों के आधार सत्यापन से संबंधित जानकारी सभी संबंधित जेल अधिकारियों तक पहुंचाई जाए ताकि उन्हें इस प्रावधान के बारे में जानकारी मिल सके."


राज्यों को हर तीन महीने में देना होगा डेटा


मंत्रालय ने कहा है कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से फिर से अनुरोध किया जाता है कि वे कैदियों और उनसे मिलने आने वालों के आधार सत्यापन की सुविधा का उपयोग करें, क्योंकि इस सत्यापन से लाभ मिलेगा. पत्र में कहा गया है, "राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से अनुरोध है कि वे कैदियों की पहचान-पत्र को आधार से जोड़ने और कैदियों व उनसे मिलने वालों के आधार सत्यापन की स्थिति के बारे में गृह मंत्रालय को संलग्न प्रपत्र में तत्काल सूचित करें. इस संबंध में जानकारी को अपडेट किया जाए और हर तीन महीने में उपलब्ध कराया जाए."


पश्चिम बंगाल, केरल, तेलंगाना, कर्नाटक जैसे गैर-भाजपा शासित राज्यों की कई जेलों में अभी तक कैदियों और उनसे मिलने वालों के लिए आधार सत्यापन व्यवस्था लागू नहीं की गई है. अधिकारी ने कहा, "देश में कैदियों की बढ़ती संख्या के साथ, जेल अधिकारियों पर उनका प्रबंधन करने और उनके रिकॉर्ड की पहचान करने का दबाव है. कैदियों और उनसे मिलने आने वालों की पहचान आज की जरूरत है. यह कैदियों के आधार बेस्ड सत्यापन से हासिल किया जा सकता है."


आधार सत्यापन सुरक्षा के लिए जरूरी


अधिकारी ने बताया कि आधार से जुड़ी सेवाओं का उपयोग जेल में कैदियों, उनके आगंतुकों का सटीक सत्यापन करने, जेल प्रणाली के भीतर पहचान संबंधी धोखाधड़ी को कम करने और कैदियों के प्रबंधन से संबंधित प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने के लिए किया जा सकता है.

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