Wed , Jul 16 2025
बीकानेर
किसी कवि की ये पंक्तियां इन दिनाें बीकानेर पर सटीक बैठ रही है। सावन के पहले दिन ही मूसलाधार बारिश ने बीकानेर की फिजां ही बदल दी। लोग कविताएं गुनगुनाने लगे हैं। आकाश में उमड़-घुमड़ कर बदरा छाए। कभी तेज तो कभी फुहारी बारिश से बीकाणे की रंगत हिलोरे लेने लग गई। सावन के पहले सोमवार से शुरू हुआ बारिश का दौर मंगलवार को दिनभर जारी रहा। आकाश से टपकी पानी की बूंदों से धोरे हरियाली से आच्छादित होने को आतुर हैं। तालाब-तलाइयां पानी से लबालब भरने लगे। प्रकृति भी अपनी सुन्दरता बिखेरने लगी। मोर-पपीहे की पिऊ -पिऊ गुंजन हर किसी को प्यारी लगने लगी है।
सावन शुरू होते ही गांवों में झूलों पर झूलती महिलाएं और गोठ और गंठो के दौर शुरू हो गया। कई ऐसे गीत और लोक कहावतें गूंजनें लगी जिनसे सावन में प्रकृति की सुन्दरता का विशिष्ट चित्रण होता है। हालांकि सुरंगो सावन होने के बाद भादवा की बारिश को लेकर शंकाएं पैदा होने लगी। बीकानेर में कहावत है कि “सावन बरसे तो भादो तरसे”। मतलब कि अगर सावन में बारिश होती है तो भादौं में बारिश बहुत कम होती है। मगर सावन में अच्छी बारिश से अच्छी पैदावार के भी संकेत मिलते हैं।
चहुंओर समान बारिश होने से खरीफ की बिजाई का एरिया भी बढ़ना तय है। किसानों ने खाद, बीज और हल तैयार कर लिए हैं। खेत बिजाई लायक होते ही बाजरा, मोठ, मूंग समेत कई फसलों की बिजाई होगी। शहर में गोठ और तालाबों में गंठे लगाने की होड़ सी लग गई। जितना लोग गर्मियों में पूल में नहाने का आनंद नहीं लेते जितना बारिश में। मध्यप्रदेश के ऊपर जो लो प्रेशर एरिया पूर्वी राजस्थान होते हुए पश्चिमी राजस्थान तक आ गया। इसलिए आने वाले 24 घंटे और बारिश का दौर रह सकता है।
बीते 24 घंटों से बीकानेर में बारिश का दौर बदस्तूर जारी है मगर बारिश की बूंदें ऐसे गिर रही जैसे आसमान में छलनी लगा दी हो। फव्वारानुमा हो रही बारिश से 24 घंटे में सिर्फ 11 एमएम ही रिकार्ड हुई लेकिन लगातार टिप-टिप का दौर फिर भी जारी है। सोमवार से मंगलवार सुबह 8 बजे तक श्रीडूंगरगढ़ में 30 एमएम और बीकानेर में 11 एमएम बारिश हुई। मंगलवार काे सुबह आठ बजे से शाम साढ़े पांच बजे 10.5 एमएम बारिश रिकार्ड की गई। इतनी बारिश तब हुई जब मंगलवार काे पूरे दिन आसमान से बूंदें टपकती रही। दिनभर टिप-टिप रहने से हर जगह नम और गीली रही। ना सड़कें सूखी ना घर।
जो मकान लगातार पानी से घिरे हैं। खासकर वल्लभगार्डन, बजरंग विहार और मदन विहार क्षेत्र में। वहां घरों में सीलन होने लगी। पुराने जर्जर मकानों की संख्या भी शहर में खासी है। ऐसे में टिप-टिप बारिश पूरा मकान सोख लेती है और नमी बढ़ जाती है। जैसे ही धूप निकलेगी तो मकानों में दरार या ढहने का डर बढ़ेगा। निगम प्रशासन को पहले ही इसका संज्ञान लेना होगा कि कौन से जर्जर मकान है जिनके गिरने का ज्यादा डर है।
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