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बाड़मेर
सेकेंड ग्रेड भर्ती हिंदी एग्जाम (2018) की जांच IG की निगरानी में अलग-अलग बिंदुओं के आधार पर होगा। 7 साल पहले इस एग्जाम का पेपर शुरू होने के बाद सोशल मीडिया पर आ गया था। बाड़मेर अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट-2 अंकुर गुप्ता ने पुलिस की जांच से असंतुष्ट होकर मामले में दुबारा जांच के आदेश दिए हैं। 18 अगस्त 2025 तक जांच रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने को कहा है।
अभियोजन अधिकारी हरेंद्र कुमार डागर ने बताया- साल 2018 में राजस्थान लोक सेवा आयोग की ओर से सेकेंड ग्रेड भर्ती परीक्षा आयोजित की गई थी। 1 नवंबर 2018 को हिंदी परीक्षा हो रही थी। केंद्राधीक्षक लक्ष्मीनारायण सोनी ने एक रिपोर्ट सदर थाने में दी।
रिपोर्ट के अनुसार- हिंदी एग्जाम का प्रश्न-पत्र मॉर्निंग में हुआ था। वह परीक्षा शुरू होने कुछ देर बाद सोशल मीडिया पर आ गया था। रिपोर्ट पर सदर थाना पुलिस ने मामला दर्ज किया।
डागर ने कहा- शुरुआती जांच एसआई अमर सिंह ने की थी। उन्होंने अपनी जांच में आरोपी लक्ष्मीनारायण सोनी (तत्कालीन माधव कॉलेज महाविद्यालय केंद्राधीक्षक), नरेश देव (तत्कालीन पार्षद) जिसे परीक्षा केंद्र पर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के रूप में लगाया गया था। राणुमल (माधव कॉलेज का तत्कालीन संचालक) और अन्य के खिलाफ राजस्थान सार्वजनिक अधिनियम के तहत अपराध प्रमाणित माना।
RPSC ने 2018 में करवाई थे एग्जाम।
ASP ने FR दी थी, पूर्व जांच को बताया था तथ्यात्मक भूल
डागर ने बताया- तत्कालीन ASP बाड़मेर ने जांच को आगे बढ़ाया। उन्होंने एसआई अमर सिंह की रिपोर्ट को खारिज कर दिया। इसमें जुर्म प्रमाणित माना गया था। तत्कालीन ASP बाड़मेर ने जांच को तथ्यात्मक भूल बताकर अंतिम प्रतिवेदन (FR) कोर्ट में पेश कर दी।
एफआर की कॉपी जब राजस्थान लोक सेवा आयोग (आरपीएससी) गई तो आयोग ने बाड़मेर तत्कालीन कलेक्टर विश्राम मीणा को निर्देश दिए FR के खिलाफ कोर्ट में याचिका दी जाए।
अगस्त 2020 में FR के खिलाफ दी गई याचिका
अभियोजन अधिकारी ने बताया- जिला कलेक्टर के निर्देश पर कोर्ट में FR के खिलाफ अगस्त 2020 में याचिका पेश की गई। इस पर तत्कालीन सहायक निदेशक अभियोजन की ओर से अभियोजन अधिकारी को आदेश दिया गया।
पुलिस जांच को लेकर बहस में कोर्ट से निवेदन किया गया कि इस मामले की जांच SOG या अन्य किसी एजेंसी से करवाई जाए। कोर्ट ने SP से भी स्पष्टीकरण लिया।
डागर ने बताया- कोर्ट ने 2 जुलाई 2025 को हमारे प्रार्थना-पत्र को स्वीकार किया। बाड़मेर एसपी के स्पष्टीकरण को ध्यान में रखते हुए जोधपुर रेंज की ओर से जांच में जो बिंदू छोड़े गए उन पर जांच के निर्देश दिए गए हैं।
यह भी आदेश दिया की जांच अधिकारी की ओर से लापरवाही की गई है। उनके खिलाफ जांच की जाए। दोषी पाए जाने पर विभागीय कार्रवाई की जाए।
डागर ने कहा- जांच में कई बिंदू छूट गए थे। जैसे- परीक्षा केंद्र पर जिनकी नियुक्ति थी उनके मोबाइल जब्त होने के बावजूद पुलिस ने मोबाइल की जांच नहीं की। कोर्ट ने माना कि उन बिंदुओं पर जांच होनी चाहिए थी।
बड़ा पॉइंट यह भी था कि जिस पार्षद नरेश देव को चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी बनाकर परीक्षा के दौरान एंंट्री दी गई, उसके खिलाफ भी पुलिस ने जांच नहीं की। जबकि उसके खिलाफ अन्य नकल प्रकरण में भी मामला चल रहा है।
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