Tue , Jul 08 2025
बीकानेर स्थित नेशनल रिसर्च सेंटर ऑन कैमल (NRCC) की हालिया स्टडी ने साइंस जगत में तहलका मचा दिया है। शोध में सामने आया है कि ऊंट (ड्रोमेडरी) के आंसुओं में पाए जाने वाले विशेष एंटीबॉडी 26 प्रकार के जहरीले सांपों का जहर निष्क्रिय कर सकते हैं—यानी यह एक नेचुरल एंटीडोट है!
NRCC के वैज्ञानिकों ने इंम्युनाइज्ड ऊंटों से आंसुओं की तैयारी की, जिनका प्रयोग सॉ-स्केल्ड वाइपर (Echis carinatus sochureki) के जहर पर किया गया।
इनके आंसुओं ने खून बहना, थक्के न बनना, और तत्काल मृत्यु जैसे खतरनाक असर रोक दिए।
यह पौराणिक तथ्य नहीं—यह परिणाम एक विश्वसनीय प्रीक्लिनिकल (WHO मानक) परीक्षण के बाद मिले हैं।
एंटीबॉडी उत्पादन—ऊंटों की इम्यूनoglobulin G (IgG) संरचना साधारण से बेहतर होती है।
कम एलर्जी, सफाई और थर्मोस्टेबिलिटी (गर्म मौसम में भी असरदार) के कारण घोड़े की तुलना में अधिक सुरक्षित है।
भारत में स्नेकबाइट से लगभग 58,000 मौतें प्रतिवर्ष होती हैं, जबकि 1.4 लाख लोग विकलांग हो जाते हैं।
ओफ़िशियल आंकड़ों में संकेत हैं कि यह इनकी सस्ती और बेहतर इलाज की दिशा में एक बड़ी सफलता हो सकती है।
ग्रामीण क्षेत्रों में आसानी, कम लागत और संसाधन के बीच यह एक व्यवहारिक विकल्प बन सकता है।
NRCC की पहल ने बीकानेर, जैसलमेर और जोधपुर जैसे इलाकों में ऊंट पालकों के लिए आय के नए स्रोत खोले हैं।
सरकार द्वारा प्रति ऊँट ₹5,000–10,000 मासिक जैसी सुविधाएं दी जा रही हैं—उसके आंसू और खून से एंटीबॉडी निकालने के लिए।
यूके (Liverpool School of Tropical Medicine), दुबई (CVRL), और बेल्जियम जैसी संस्थाएं भी ऊंट-आधारित एंटीडोट विकसित करने में लगी हैं, जो अफ्रीका सहित कई देशों में मददगार साबित हो सकते हैं।
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